Shikhar Varta - नवम्बर 2017
Hindi | 52 pages | True PDF | 12.3 MB
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‘भावांतर’ बनी सरकार की नाक का सवाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भावांतर योजना किसानों के हित में प्रारंभ की। आधे-अधूरे मन से शुरू हुई इस योजना से किसान हलाकान हैं। अपनी उपज औने-पौने दाम बेचने को मजबूर किसानों को अब अपूर्ण, अव्यावहारिक और कठिन योजना और अधिकारियों, बिचौलियों एवं व्यापारियों के गठजोड़ ने किसानों की नींद हराम कर दी है।
नमो-शाह की अग्नि परीक्षा का अगला पड़ाव गुजरात-हिमाचल
अपने ही गृह राज्य में नरेन्द्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी राजनीति की मुश्किल लड़ाई लड़ रहे हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव छोटे हैं लेकिन जंग बड़ी प्रतिष्ठापूर्ण है। इन दोनों राज्यों के चुनाव इस जोड़ी की भविष्य की राह तय करेंगे। अगर चुनाव परिणाम इनके मनोनुकूल न हुए तो आने वाला वक्Þत मुश्किलों से भरा होगा।
भूख और खाद्यान्न के बीच का संकट
संयुक्त राष्ट्र की फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइज़ेशन की संर्वेक्षण रिपोर्ट भारत को दुनिया की ‘केपिटल आॅफ हंगर’ अर्थात भूख की राजधानी घोषित कर चुकी है। हमारे देश में खाद्यान्न-भंडारण और उसके रख-रखाव की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण हज़ारों-लाखों टन खाद्यान्न यूँ ही बर्बाद हो जाता है और खाद्यान्न की कमी बनी रहती है।
रोज़गार में अपने पैरों पर खड़े होने का वक्Þत
एच-1 बी वीज़ा पाने वालों में भारतीयों का हिस्सा सबसे ज्Þयादा है। जैसे ही ट्रंप ने अमेरिका फर्स्ट और अन्य प्राथमिकताओं का ज़िक्र किया और जो बिल सीनेट में प्रस्तुत किया गया, उससे तमाम भारतीय कंपनियों को समस्याएं दिखने लगीं क्योंकि उनके श्रम की पूर्ति एच 1 बी वीज़ा पर निर्भर करती है।
फुटबॉल में भारत के सुनहरे दिन दूर नहीं!
‘फीफा’ अंडर-17 विश्व कप में भारतीय टीम का सफर घाना से मिली हार के साथ भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है। अभी तक क्रिकेट, हॉकी या चुनिंदा अन्य खेलों में ही भारतीय खिलाड़ियों का विश्व स्तर पर प्रदर्शन उपलब्धि भरा रहा है। किंतु आने वाले वक्Þत में फुटबॉल में भी भारत अपनी चमक दुनिया में दिखाएगा।