Kendra Bharati - केन्द्र भारती - फ़रवरी 2017
Hindi | 52 pages | True PDF | 16.3 MB
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केन्द्र भारती : विवेकानन्द केन्द्र मासिक पत्रिका : फ़रवरी २०१७
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भारत में जीवन, साधना का पर्याय माना जाता है। सुसंस्कृत व्यक्ति वही है जो साधना करके जीवन का श्रेष्ठ सम्पादित करने के लिए प्रयत्न करें। परमहंस रामकृष्ण काली माता के मंदिर के पुजारी थे। काली माता के भक्त थे। उन्होंने अपने जीवन में प्रयोग करके प्रमाणित कर दिया कि सभी पन्थों, मतों और सम्प्रदायों का एक ही लक्ष्य है - भगवत्प्राप्ति।
तपोनिष्ठ जीवन जीकर उन्होंने समाज का मार्गदर्शन किया और भारत राष्ट्र को विवेकानन्द जैसा शिष्य दिया, जिसने सारे संसार में भारतीय जीवन पद्धति को प्रसिद्ध करने के लिए अभूतपूर्व प्रयत्न किया।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने जन जागरण का जो सपना देखा था, वह धीरे-धीरे साकार हो रहा है। धीरे-धीरे अनेक कार्यकर्ता की चमू तैयार हो गई है जो तब तक चैन से नहीं बैठेगी, जब तक राष्ट्र निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो जाता। भारत अपनी चरित्र गरिमा और यज्ञयोगमयी जीवन शैली के माध्यम से विश्व गुरु रहा है। उसे पुनः विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने का स्वप्न साकार हो - यह सभी भारतवासियों की कामना है।