Kendra Bharati - केन्द्र भारती - जुलाई 2018
Hindi | 52 pages | True PDF | 15.3 MB
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Kendra Bharati : July 2018 : वेदों को संरक्षित करने के लिए (अस्तित्व के शाश्वत सत्य को प्रकट करनेवाले मन्त्रों का संग्रह), महर्षि श्री व्यास ने गुरु परम्परा स्थापित की। वह जानते थे कि किसी भी ज्ञान की निरंतरता, ज्ञान को आगे बढ़ाने हेतु प्रतिबद्ध और चरित्रवान व्यक्तियों की शृंखला पर निर्भर है। उन्होंने गुरु परम्परा बनाकर और ज्ञान की प्रत्येक शाखा को अलग-अलग परिवारों को सौंपकर इसे यथार्थ बना दिया।
महर्षि वेदव्यास के ये प्रयास और दृष्टि इतनी सफल थी कि भारत एक ऐसी भूमि बन गई जहाँ गुरु से शिष्य या पिता से पुत्र को ज्ञान की विभिन्न शाखाएँ प्राप्त होती रहीं । गुरु से शिष्य दृ गुरु परंपरा ने ज्ञान के इस प्रवाह को संरक्षित और समृद्ध करके, प्रत्येक युग के लिए इसे प्रासंगिक किया। इस प्रकार भारतमाता, जिसके जीवन में सनातन धर्म स्थापित है और सनातन धर्म जो नित्य नूतन और चिर पुरातन है, सदैव प्रासंगिक और शाश्वत हो गए। भगवान वेदव्यास द्वारा निर्मित गुरु परम्परा की यह प्रथा इतनी अनोखी थी कि उनकी जन्मतिथि अर्थात आषाढ़ पूर्णिमा को हमारी इस भूमि पर इसे गुरुपूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।