Cricket Today Hindi Edition - फ़रवरी 2017
Hindi | 100 pages | True PDF | 36.1 MB
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भारतीय क्रिकेट का इतिहास कई दशक पुराना हो चला है और इस दर यान तमाम ऐसे खिलाड़ी आये जिन्होंने अपनी काबिलियत का लोहा पूरे विश्व में मनवाया। कर्नल सीके नायडु, अजीत वाड़ेकर, सुनील गावस्कर, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, सौरव गांगुली इत्यादि भारतीय क्रिकेट के वो सितारे हैं जिन्हें कभी भी आंखों से ओझिल नहीं किया जा सकता। लेकिन 2005 में रांची जैसे छोटे शहर के इकहरी कद काठी और लंबे बालों वाले युवा ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा और उसके बाद उसने भारतीय क्रिकेट को वो सम्मान दिलाया जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। 2007 टी 20 विश्व कप से कप्तानी यात्रा शुरू करने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने करीब दस साल टीम की बागडोर संभाली वो भी अपनी शर्तों पर। इस एक दशक के दौरान टीम ने 2007 टी 20 विश्व कप, 2011 वन-डे विश्व कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जैसे महत्त्वपूर्ण टूर्नामेंट्स पर कब्जा जमाया और ऐसा करने वाले वो न सिर्फ पहले भारतीय बल्कि दुनिया के इकलौते कप्तान हैं। जबकि टेस्ट क्रिकेट में भी टीम को वर्षों बाद नंबर वन बनाया और वह एक लंबे अंतराल तक इस पायदान पर रही। अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में धोनी ने अपना आपा नहीं खोया, वहीं सीनियर और जूनियर खिलाड़ियों के बीच भी पूरी तरह अपनी पकड़ बनाये रखी। यकीनन एक बल्लेबाज के तौर पर सचिन तेंदुलकर की जिस प्रकार किसी से कोई तुलना नहीं की जा सकती ठीक वैसे ही कप्तान के तौर पर भारतीय क्रिकेट में धोनी की किसी और से तुलना असंभव है। भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिये धोनी आपका शुक्रिया।
2017 का पहला महीना भारतीय क्रिकेट के लिये खुशनुमा होने की बजाय मुश्किलें लेकर आया है। एक तरफ महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तानी छोड़ी तो 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष और सचिव समेत कई पदाधिकारियों को क्रिकेट की राजनीति से बेदखल कर दिया। बीसीसीआई की इस बेकदरी के लिये यकीनन बोर्ड के उच्च पदस्थ अधिकारी ज़िम्मेदार हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को हल्के में लेने की कोशिश की। अब देखने वाली बात ये है कि क्या देश के एपेक्स कोर्ट की निगरानी में भारतीय क्रिकेट पारदर्शी और राजनेताओं व लालफीताशाही से मुक्त हो पायेगी?