Cricket Today - Hindi - नवम्बर 2017
Hindi | 100 pages | True PDF | 40.0 MB
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भारतीय क्रिकेट 1992 में कपिल देव के संन्यास के बाद से एक अदद सच्चे हरफनमौला के लिये तरस रही है। करीब 25 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद यह तलाश युवा खिलाड़ी हार्दिक पांड्या पर आकर खत्म होती नजर आ रही है। दरअसल, इस 24 वर्षीय युवा ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण के कुछ ही महीनों के भीतर अपनी प्रतिभा कुछ इस अंदाज में दिखाई है कि आज हर तरफ उनके खेल की चर्चा हो रही है। इस युवा के क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट्स में शानदार प्रदर्शन को देखकर ना सिर्फ टीम इंडिया के कोच और कप्तान बल्कि कई दिग्गज खिलाड़ी भी आश्चर्य व्यक्त कर चुके हैं और यह यकीनन भारतीय क्रिकेट के लिये सुखद बात है। हालांकि पिछले दो दशक में भारतीय क्रिकेट को कई ऐसे खिलाड़ी मिले जिन पर एकाध प्रदर्शन के बाद ही समीक्षकों द्वारा 'हरफनमौला' का टैग चस्पा कर दिया गया जिसमें मनोज प्रभाकर, रवींद्र जडेजा, आर अश्विन, इरफान पठान इत्यादि शामिल हैं। लेकिन इन सभी की अपेक्षा हार्दिक ने अपने पदार्पण के बाद से अधिकांश मौकों पर अकेले मैच जिताने की क्षमता का भरपूर दम दिखाया है और यही बात उन्हें महान भारतीय हरफनमौला कपिल देव का उत्तराधिकारी साबित करने के लिये काफी है। विरोधी से मैच छीनने की जांबाज कोशिश दिखाने वाला ये युवा 140 किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से सधी हुई गेंदें डाल सकता है और कभी कभार पिटाई होने पर विचलित भी नहीं होता है। वहीं बतौर बल्लेबाज क्रीज पर हार्दिक की उपस्थिति टीम को उम्मीद बंधाती है तो उन्हें कभी अपना विकेट 'थ्रो' करते नहीं देखा गया है।
आजकल टीम इंडिया अलग अलग फॉर्मेट, जुदा-जुदा टीमों की परम्परा पर चलती दिख रही है, तो भारत के सफलतम कप्तान माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी मैदान पर अपने युवा साथियों के लिये गाइड, मेंटोर या फिर गॉडफादर वाली भूमिका में नजर आ रहे हैं। सचमुच माही का ये रूप ना सिर्फ विराट कोहली बल्कि पूरी टीम के लिये मारक साबित हो रहा है।